नगर के स्टेशन,लाल पठार,काली पठार, बस स्टैंड की जर्जर दुकानें , मिर्जापुर का पीछे वाला भाग,राजेन्द्र नगर ,वेदन खेड़ी विद्धुत सब स्टेशन के पीछे व खाली पड़े प्लॉटों का उपयोग नशा प्रेमियों द्वारा बेरोकटोक किया जा रहा है हैरत की व दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इन नशा करने वालों में आवारा वयस्कों के साथ बच्चों की संख्या भी कम नहीं है जो शराब,गांजा,स्मेक,चरस ,सफेद पाउडर इत्यादि का सेवन कर खुद के स्वास्थ्य से गंभीर खिलवाड़ कर खुद ही खुद की जान के दुश्मन बने हुए हैं। स्टेशन सहित कई क्षेत्रों में तो छोटे बच्चों को खुले आम सिगरेट का धुंआ उढ़ाते कश पर कश लगाते देखा जा सकता है,प्रशासन के व सियासत के जिम्मेदारों की नजर इन पर नहीं पड़ती या यह कहें कि कुछ प्रशासन के ही लोगों की नजरे इनायत से बैखोफ हैं ये नस्सू भैया जिनमें बचपन भी शामिल है,वह बचपन जिसके हाथ में स्कूल की किताबें होनी चाहिये वह नशे की गिरफ्त में कैद होकर रह गया है। इसी प्रकार नगर की अनेक होटलों में व शादी व्याह में बारातों में व कैटरर्स की टीम में भी बाल मजदूरों की मौजूदगी दिल में एक अज्ञात भय युक्त सिहरन पैदा कर देती है यह सब वहाँ हो रहा है जिस माटी से बच्चों के प्रति चिंतित नोबल पुरुष्पकार विजेता कैलाश सत्यार्थी व बाल श्रम आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो क्षेत्र को गर्वित कर रहे हैं। गंज बासौदा को जिला बनाओ अभियान समिति प्रमुख ,सामाजिक कार्यकर्ता शैलेन्द्र सक्सेना ने बताया कि यदि प्रशासन चाहे तो इन विसंगति पूर्ण घटनाओं पर पूर्ण अंकुश लगाया जा सकता है समिति व नगर के अन्य सामाजिक कार्यकर्ता पूरी तरह सकारात्मक सहयोग करने तैयार हैं ताकि जिला बनने की ओर अग्रसर माँ शीतला की नगरी के बचपन को नशे व बाल श्रम की कैद से मुक्त किया जा सके इस पहल में सभी सियासतदारों को भी आगे आना चाहिये सक्सेना ने प्रदेश के मुखिया कमलनाथ को पत्र लिखकर इस मानवीय एवं अत्यधिक संवेदनशील मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए क्षेत्र में पूर्व से स्वीकृत एडिशनल एस .पी .की नियुक्ति की भी आवश्यकता बतलाई है।
नशे व बाल मजदूरी की गिरफ्त में बचपन गंज बासौदा