’राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके जी का जीवन परिचय’

                                                 सुश्री अनुसुईया उइके
                                             महामहिम राज्यपाल, छत्तीसगढ़ 

                                           


    राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके का जन्म 10 अप्रैल 1957 को ग्राम रोहनाकला जिला छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम स्वर्गीय श्री लखनलाल जी उइके है। सुश्री उइके छात्र जीवन से ही सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेती रही हैं। वे इसके पूर्व राष्ट्रीय जनजातीय आयोग की उपाध्यक्ष रही हैं। 


    सुश्री उइके अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और एल.एल.बी. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शासकीय महाविद्यालय तामिया, जिला-छिन्दवाड़ा (म.प्र.) में सन् 1982 से 1985 तक अर्थशास्त्र की व्याख्याता रही हैं। उसके पश्चात शासकीय सेवा से त्यागपत्र देकर विधानसभा चुनाव लड़ीं। वे सन् 1985 से 1990 तक विधानसभा क्षेत्र दमुआ से विधायक रही हैं तथा मध्यप्रदेश शासन में वर्ष 1988 से 1989 तक महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री रही हैं। सुश्री उइके राज्य और राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न आयोगों के सदस्य रह चुकी हैं। वे 04 अप्रैल 2006 से 04 अप्रैल 2012 तक राज्यसभा सदस्य रही हैं। उन्हें दलित समाज के उत्थान हेतु किये गए विशिष्ट कार्यों के लिए 06 दिसंबर 1990 को डॉ. भीमराव अंबेडकर फैलोशिप से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही 21 सितंबर 1989 को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष माननीय श्री बलराम जाखड़ जी द्वारा जागरूक विधायक के रूप में सम्मानित किया गया था।


    सुश्री उइके ने विधायक और सांसद के पद पर रहते हुए मास्को, जिनेवा, लंदन, मलेशिया, जाम्बिया, मलावी, बोत्सवाना इत्यादि देशों की विदेश यात्रा की हैं। उनके द्वारा आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए 22 राज्यों के 80 जिलों का भ्रमण करने के बाद प्रतिवेदन तैयार किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था। ज्ञातव्य है कि सुश्री उइके सन् 1998 से 1999 तक अध्यक्ष भूमि विकास बैंक जिला-छिन्दवाड़ा, अध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग (जनवरी 2006 से मार्च 2006 तक), सदस्य राष्ट्रीय महिला आयोग भारत सरकार (वर्ष 2000 से 2003), पुनर्नियुक्ति 2003 से 2005 जून तक रही हैं। उन्होंने 04 अप्रैल 2006 से 04 अप्रैल 2012 तक राज्यसभा सांसद के पद का निर्वहन किया। इस दौरान वे विभिन्न संसदीय समिति, हिन्दी सलाहकार समिति, सलाहकार समिति महिला एवं बाल विकास भारत सरकार, रेलवे सलाहकार समिति, टेलीफोन एडवाइजरी कमेटी, अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों की कल्याण संबंधी समिति तथा अन्य समितियों की सदस्य रही हैं और अपने पदीय दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया है।