- शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा की संयुक्त याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में रविवार को एक घंटे सुनवाई - सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहाराज्यपाल के लिखे पत्र सोमवार सुबह 10.30 बजे पेश करें - तीनों दलों ने रविवार को ही फ्लोर टेस्ट की मांग की थी, कहा था- बहुमत तो हमारे पास है . सिब्बल-सिंघवी ने कहा-शपथ दिलाने का राज्यपाल का फैसला अजीब और पक्षपातपूर्ण नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच रविवार को सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी दलों की याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने मामले में केंद्र, महाराष्ट्र सरकार, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि राज्यपाल के लिखे पत्र कल सुबह 10.30 बजे अदालत के सामने पेश करें ताकि उस आधार पर आदेश जारी किया जा सके। अदालत कल ही उचित आदेश देगी। याचिका में राज्यपाल के फैसले को चुनौती शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को शपथ दिलाने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को चुनौती दी है। याचिका में विपक्ष ने राज्यपाल के फैसले को मनमाना और दुर्भावनापूर्ण बताया है। तीनों पार्टियों ने मांग की है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए सरकार गठन के 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट हो जाएशिवसेना की तरफ से सिब्बल की दलीलें . रविवार को आप लोगों को तकलीफ दी, इसके लिए माफी मांगते हैं। विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 का है। चुनाव पूर्व गठबंधन को पहले मौका मिलता है। लेकिन चुनाव पूर्व गठबंधन टूट गया। अब हम चुनाव बाद बने गठबंधन पर निर्भर हैं।" - शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने 22 नवंबर को शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का ऐलान किया गया था और कहा गया था कि सरकार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनेगी। लेकिन इसके बाद जो हुआ, वो अजीब था। सुबह करीब 8 बजे फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बन गई। गवर्नर सीधे निर्देशों पर काम कर रहे थे, वरना ऐसी चीजें न होती।" - शनिवार को सुबह 5-17 बजे राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया। सुबह 8 बजे दो लोगों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले - राज्यपाल ने सत्तारूढ़ दल को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर का जो वक्त दिया है, उसके मायने कुछ और नजर आ रहे हैं।'' ली। भाजपा की तरफ से मुकुल रोहतगी । कांग्रेस-राकांपा की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी - मुझे समझ नहीं आ रहा कि रविवार को -दस्तखत किए गए सत्यापित दस्तावेजों के आधार सुनवाई क्यों हो रही है। रविवार को ऐसे पर प्रथम दृष्टया बहुमत नजर आने पर आगे बढ़ना सुनवाई नहीं होनी चाहिए। मेरे हिसाब से ही राज्यपाल के लिए तय मानदंड होता है। जब हमने यह मामला लिस्टेड ही नहीं होना चाहिए शुक्रवार शाम 7 बजे यह घोषणा कर दी थी कि हम था। यह याचिका पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे और उद्धव ठाकरे दाखिल होनी थी।" सरकार का नेतृत्व करेंगे तो क्या राज्यपाल इंतजार ।क्या सुप्रीम कोर्ट एडवांस फ्लोर टेस्ट का नहीं कर सकते थे?' आदेश दे सकता है? याचिका में जरूरी । महज 42-43 सीटों के समर्थन के आधार पर दस्तावेज नहीं हैं। इन लोगों को कुछ नहीं अजित पवार उपमुख्यमंत्री कैसे बन सकते हैं? यह पता। ये लोग तीन हफ्ते तक सो रहे थे। लोकतंत्र की हत्या है। अजीत पवार पार्टी के नेता नहीं उनके दावों के समर्थन में कोई दस्तावेज हैं। अगर उनके पास अपनी ही पार्टी का समर्थन नहीं मौजूद नहीं है।" है तो वे डिप्टी सीएम कैसे रह सकते हैं।" अनुच्छेद 212 को देखिए। किसी भी । राकांपा के पास 54 विधायक हैं। इनमें से 41 विधानसभा में कार्यवाही की वैधता पर इस विधायक शरद पवार के साथ हैं। इन 41 विधायकों आधार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा है कि अजित कि उनकी प्रक्रिया में अनियमितता थी। पवार को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया क्या होगा अगर सदन ने बिल पास किया गया है। 1998 का उत्तर प्रदेश का मामला हो या और कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सभी 2018 का कर्नाटक का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा मामलों को 2 साल में सुलझा दे।” (इस तुरंत फ्लोर टेस्ट के आदेश दिए हैं। तो क्यों न आज पर कोर्ट में सभी हंसने लगे)। इसके बाद या कल फ्लोर टेस्ट कराया जाए? ऐसा कैसे हो जस्टिस रमना ने कहा कि ऐसा हो सकता सकता है, जिसने कल बहुमत का दावा कर शपथ है, हम नहीं जानते। ले ली थी, आज वह फ्लोर टेस्ट से बचने लगे?''